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शनिवार, 15 अगस्त 2009

नैय्या पार करो!

हे मेरे प्यारे गिरिधारी!
बनाया तूने ये दुनिया न्यारी।
बसे हैं इसमे हर तरह के प्राणी,
पर आज तक देखा ऐसा न कोई,
जो है शुद्ध, गंगा मय्या सी।
इस बड़ी दुनिया में हूँ अकेली,
निस्सहाय। पर हूँ मैं तो तेरी।
आश्रय दो मुझे, हे अन्तर्यामी,
भूल जाओ मेरे हर एक त्रुटी।
तुम्ही जीने के सहारे हो, बनवारी!
दर्शन देने तुम जो आए नहीं,
हाय!रह गई मेरी अक्खियाँ प्यासी।
आशा है मेरे सिर्फ़ तुम्हीं,
बेडा पार करा दो, हे द्वाराकापुरावासी!
तुम नहीं आए दर्शन देने यदि,
कसम है, ये दुनिया छोड़ दूँगी।
नियति  को बदलना जानते हो तुम ही,
क्यों न बचा  दे डूबती कश्ती मेरी?
हे पिया, करती हूँ तुझसे विनती,
अब न सताओ, मैं हूँ दुखियारी।
मैं हूँ तेरे प्रेम की दीवानी,
आजा, नय्या पार करो इस दीवानी की!


1 टिप्पणी:

Dhwani ने कहा…

aapka template bahut accha hai ....aapse aur sunne ka man kar raha hai .....